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आदिवासियों ने घेरा गरियाबंद कलेक्टोरेट चार घंटे किया नेशनल हाइवे जाम

Gariaband News। सौ से भी अधिक ट्रेक्टरों पर सवार हजारों आदिवासी ग्रामीण सोमवार को जिला मुख्यालय पहुंच गए। इसके कारण नगर में ट्रैफिक जाम की स्थिति उत्पन्न हो गई। दोपहर 2 बजे से शाम 6 बजे तक कलेक्ट्रेट के सामने प्रदर्शन करते हुए गरियाबंद – देवभोग मार्ग पर चक्काजाम किया गया। जिसके कारण आवागमन पूरी तरह बाधित रहा। बस समेत अन्य वाहनें फंसने से यात्रा कर रहे लोगों को भारी परेशानी का सामाना करना पड़ा।

किसान मजदूर संघर्ष समिति के बैनर तले उदन्ती सीतानदी राजा पड़ाव क्षेत्र ये ग्रामीण जिले में पांचवी अनुसूची, पैसा कानून ग्राम सभा कानून को सम्पूर्ण रूप से अमल में लाये जाने तथा जल जंगल जमीन सांस्कृतिक, आर्थिक, राजनैतिक, संवैधानिक अधिकारों को अमल में लाने सहित अन्य कई मांग कर रहे हैं। आदिवासी विकासखंड मैनपुर से ट्रेक्टरों पर एक दिन पहले ही रैली की शक्ल में निकले आदिवासियों ने ग्राम जोबा में रात्रि विश्राम किया। सुबह नगर के आदिवासी विकास परिषद भवन में क्षेत्र के सभी आदिवासी समाज के नागरिकों द्वारा एकत्रित होकर आम सभा की। उसके बाद रैली निकालकर कलेक्टर कार्यालय का घेराव किया।

आदिवासियों की मांग है कि क्षेत्र में वर्षों से बुनियादी सुविधाएं नहीं मिल पा रही है जिसके कारण लोग काफी परेशान हो चुके है। इसलिए यह निर्णय लिया गया है कि जिला कलेक्टर का घेराव कर मांग पत्र सौंपा जाएगा। किसानों ने कहा कि पायलीखंड देहरादून हीरा खदान पांचवीं अनुसूची क्षेत्र के अंतर्गत आता है। इसके लिए स्थानीय आदिवासी मूल निवासियों का संपूर्ण अधिकार है। तेंदूपत्ता तोड़ाई प्रति सैकड़ा 500 रूपए किया जाए। 12 महीना कमाने वाली फसलों की न्यूनतम समर्थन मूल्य की गारंटी दी जाए। भोले-भाले आदिवासियों के ऊपर झूठे माओवादी केस लगाकर धमकी डराना बंद किया जाए। बीएसएफ पुलिस कैंप को हटाया जाए। किसानों के ऊपर सरकारी साहूकारों के तमाम कर्जा को माफ किया जाए।

चालीस प्रतिनिधियों से चर्चा में मांगों पर सहमति का दावा दो घंटे के प्रदर्शन के बाद जिला प्रशासन ने 40 प्रतिनिधियों को बुलवाया और चर्चा की, जो मांग जिला प्रशासन के अंतर्गत था उसे पूरा किया और जो मांग शासन स्तर का है उसे आगे भेजने की बात पर सहमति होने का दावा किया गया है। जिसके बाद चक्काजाम व प्रदर्शन बंद हुआ।

4 घण्टे चले आंदोलन में लोगों को काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ा। इस आंदोलन में प्रमुख रूप से अर्जुन नायक, घनश्याम मरकाम, कम नागवंशी, पूरण मेश्राम, कृष्ण कुमार नेताम, जीवन नेताम, सोमार मंडावी, बलदेव सोरी, सुखनाथ नेताम, तिलक, गणेश नेताम, बैशाखराम नेताम, दशरथ नेताम, सुकनाथ मरकाम, शत्रुघन सोरी, रामिन बाई नेताम, हेमलता, दुर्गा मरकाम, लाजवंती मरकाम, मायाबाई मरकाम सहित क्षेत्र के हजार से भी अधिक आदिवासी शामिल हुए।

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