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टपकने लगे महुआ फूल बीनने में ग्रामीण व्यस्त

Gariaband मैनपुर । इन दिनों वनांचल राजा पड़ाव क्षेत्र के गांवों में पीला सोना कहे जाने वाले महुआ फूल टपकना शुरू हो गया है। फूल समेटने के लिए ग्रामीण पूरे परिवार के साथ सुबह से ही जंगलों व खेतों की ओर चले जाते हैं। सूर्य के चढ़ते ही पेड़ से फूल गिरना कम हो जाता है। गर्मी का मौसम आते ही महुआ के पेड़ों पर आई कूंचे फूलों से लद आए हैं। क्षेत्र में चारों ओर महुए की खुशबू बिखर रही है जो आते जाते लोगों को आकर्षित कर रही है।

छत्तीसगढ़ राज्य का प्रमुख वनोपज महुआ फूल तैयार हो चुका है। यह आधी रात से ही गिरना शुरू हो जाता है और सूरज निकलने और ताप बढ़ने पर पेड़ से फूल टपकना कम हो जाता है जिसे चुनने के लिए ग्रामीण सुबह से ही पूरे परिवार के साथ खेतों और जंगलों की ओर जाते हैं। इस दौरान फूलों को समेटने के लिए टोकरी, बोरी साथ लेकर जाते हैं। यह महुआ फूल क्षेत्र के लोगों की रोजी रोटी का जरिया भी होता है।

महुआ फूल पेड़ से नीचे एक-एक कर गिरते हैं जो बिखर जाते हैं। ग्रामीण सुबह – सुबह परिवार सहित महुआ फूल बीनने के लिए जाते हैं। एक दिन में 15 से 20 किलो महुआ बीन लेते हैं। इसे तीन से चार दिन धूप में सुखाने के बाद व्यापारियों को बेच देते हैं। सूखने के बाद इसका वजन आधा से भी कम हो जाता है। वर्तमान में इसका बाजार मूल्य करीब 20 से 30 रुपए किलो चल रहा है ।महुआ सीजन शुरू होते ही जंगलों में आग लगने की आशंका बढ़ जाती है। वजह यह है कि ग्रामीण पेड़ के नीचे महुआ संग्रहण के लिए आग लगाते हैं और बिना बुझाये उसे छोड़कर चले जाते हैं। यह आग धीरे-धीरे पूरे जंगल को चपेट में ले लेती है। इसके चलते हर वर्ष बड़ी मात्रा में वन सम्पदा का नुकसान होता है।

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