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पढ़ाई छोड़ 15 साल की बालिका संभाल रही निशक्त माता-पिता

Gariaband छुरा। छुरा विकासखंड के ग्राम पंचायत सोरिदखुर्द में निवासरत निशक्त दिव्यांग महिला द्रोपति बाई व उसके दयाराम भले ही विशेष पिछड़ी जनजाति भुंजिया वर्ग से हैं लेकिन शासकीय योजनाएं इन तक नहीं पहुंच पाई हैं। 47 वर्षीय द्रोपति व उसके पति ठीक से चल भी नहीं पाते हैं। परिवार आर्थिक संकट से जूझ रहा है। कोई और सहारा नहीं मिला तो इनकी 15 साल की बेटी लुकेश्वरी ने अपनी पढ़ाई छोड़ दी है।

स्कूल जाना बंद करके वह किसी तरह घर चलाती है और माता-पिता की सेवा करती है। द्रोपति का आधा शरीर काम ही नहीं करता इसलिए वह खड़ी तक नहीं हो पाती है। गरीबी के कारण उचित इलाज नहीं हो पाया है। इस गांव में पहुंचे सामाजिक कार्यकर्ताओं को इसकी जानकारी हुई तो वे परिवार से मिले। उन्हें पता चला कि इस परिवार के बारे में सरपंच व ग्राम पंचायत को पहले से ही जानकारी है लेकिन अभी आरक्षित वर्ग को मिलनी वाली योजनाओं का लाभ दिलाने पंचायत स्तर पर कोई परिवार की मदद नहीं हो पाई है। स्थिति यह है कि निशक्त दंपती को पेंशन तक नहीं मिल रहा है। न निराश्रित पेंशन दे रहे और न ही पीएम आवास : जानकारी मिली है कि इस जरूरतमंद परिवार को पीएम आवास का लाभ भी नहीं मिला है। और तो और इनकी दिव्यांगता का प्रमाणपत्र बनाने में भी किसी भी जनप्रतिनिधि ने दिलचस्पी नहीं दिखाई है। इंडियन रेडक्रॉस संरक्षक सदस्य जरूरतमंदों को योजनाओं का लाभ नहीं मिल रहा समाजसेवी मनोज ने कहा केंद्र व राज्य सरकार से जुड़े लोग विशेष पिछड़ी जनजाति लोगों के लिए योजनाएं गिनाते हैं। स्थानीय प्राधिकरण एवं पंचायत प्रतिनिधियों द्वारा कार्यालय में विशेष पिछड़ी जनजाति वर्ग के लोगों के लिए योजनाओं को हितग्राही तक पहुंचाने बाबत निर्देश पुस्तिका होने के बावजूद कोई मदद नहीं दिला पा रहे हैं।

आरक्षित वर्ग के लोग दयनीय स्थिति में जीवन जी रहे हैं। कई परिवार तो झोपड़ियां में ही बुरे हाल में जीवन बिता रहे हैं। कई लोगों के घरों में बिजली नहीं है तो कई लोगों के घर में पानी का कोई इंतजाम नहीं है। पेंशन योजना का भी बुरा हाल है। पक्के आवास तक नहीं मिल पाए हैं। समाजसेवी मनोज पटेल ने इस परिवार की दयनीय स्थिति देखते हुए शासन प्रशासन की योजनाओं की जानकारी देकर मदद करने का भरोसा दिलाया। भुजिया समाज के खगेश भुंजिया भी साथ रहे।

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