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सुप्रीम कोर्ट ने नफरती भाषणों पर गंभीर आपत्ति जताई

नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने नफरती भाषणों पर गंभीर आपत्ति जताई है। शीर्ष अदालत ने कहा, जिस क्षण धर्म
और राजनीति को अलग कर दिया जाएगा और राजनेता सियासत में धर्म का इस्तेमाल करना बंद कर देंगे, उसी
क्षण इस तरह के भाषण बंद हो जाएंगे। हर पक्ष के असामाजिक तत्वों की तरफ से ही ऐसे भाषण दिए जा रहे हैं। लोगों को भी खुद को संयमित रखना चाहिए। जस्टिस केएम जोसफ व जस्टिस बीवी नागरत्ना की पीठ ने कहा, आखिर अदालतें कितने लोगों के खिलाफ अवमानना के मामले शुरू कर सकती हैं। देश के लोग ही दूसरे लोगों या समुदायों के खिलाफ गलत नहीं बोलने का संकल्प क्यों नहीं ले सकते हैं।

राजनीति में धर्म का इस्तेमाल बंद करने पर ही रुकेंगे नफरती भाषण

पीठ ने कहा, प्रत्येक दिन असामाजिक (फ्रिज) तत्व टीवी और सार्वजनिक मंचों समेत अन्य जगहों पर लोगों के प्रति नफरत फैलाने वाले भाषण दे रहे हैं। इसमें हर तरफ के लोग हैं और अदालत से पूछ रहे हैं कि क्या वह सभी भारतीयों के खिलाफ कोर्ट की अवमानना की कार्रवाई करेगी।

महाराष्ट्र सरकार को नोटिस, मांगा जवाब

शीर्ष अदालत शाहीन अब्दुल्ला की याचिका पर सुनवाई कर रही थी, जिसमें कहा गया है कि महाराष्ट्र में पिछले चार महीने में 50 से ज्यादा नफरती भाषण देने के मामले सामने आए हैं। पीठ ने महाराष्ट्र सरकार को जवाब देने के लिए नोटिस जारी करने के साथ ही मामले की सुनवाई 28 अप्रैल तक स्थगित कर दी।

सॉलिसिटर जनरल ने उठाए याचिकाकर्ता पर सवाल

सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने याचिकाकर्ता अब्दुल्ला पर सवाल उठाए। कहा, तमिलनाडु और केरल में भी हिंदुओं और ईसाइयों के खिलाफ नफरती भाषण दिए गए हैं, लेकिन अब्दुल्ला ने चुनिंदा भाषणों का ही उल्लेख किया है। उन्हें हिंदुओं और ईसाइयों के खिलाफ दिए गए अपमानजक भाषणों का भी उल्लेख करना चाहिए।

राज्यों की निष्क्रियता पर जताई नाराजगी

नफरती भाषण के मामलों में राज्यों की निष्क्रियता पर भी पीठ ने कड़ी नाराजगी जताई। जस्टिस जोसफ ने कहा, राज्य समय पर कार्य नहीं करते हैं। राज्य क्यों हैं और चुप क्यों है?

अब जिनके पास कोई जानकारी नहीं, वही दे रहे नफरती भाषण

■ नेहरू- वाजपेयी का किया जिक्र जस्टिस नागरत्ना ने कहा, हम कहां जा रहे हैं? हमारे पास पूर्व प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू और अटल बिहारी वाजपेयी जैसे वक्ता हुआ करते थे। लोग दूर-दराज के इलाकों, नुक्कड़-
चौराहों और ग्रामीण क्षेत्रों से उन्हें सुनने के लिए आते थे। अब जिनके पास कोई जानकारी नहीं है, वे इस तरह के नफरती भाषण दे रहे हैं।

जिन्हें पाकिस्तान जाने को कहते हैं, उन्होंने इस देश को चुना

■ हिंदू समाज की याचिका स्वीकारी शीर्ष अदालत ने हिंदू समाज की तरफ से दायर याचिका स्वीकार कर ली, जिसमें हिंदुओं के खिलाफ नफरती भाषणों का जिक्र किया गया है । जस्टिस जोसफ ने हिंदू समाज के वकील से कहा, सबसे महत्वपूर्ण चीज गरिमा है। कुछ बयानों में लोगों से पाकिस्तान जाने की बात कही जाती है। ये वह लोग हैं, जिन्होंने इस देश को चुना था। वे आपके भाई और बहन हैं। अगर आप महाशक्ति बनना चाहते हैं, तो कानून का शासन होना चाहिए।

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