
(गरियाबंद) मैनपुर । वनांचल क्षेत्र में इन दिनों में टोरी बिनाई एवं फोड़ाई जोरों पर है जिसे कोया फल भी कहते हैं। टोरी की तेल से गठिया बात के लिए वन औषधि दवाई मानी जाती है। जिसे अंचल में टोरी की दाल बना कर तेल पेराई करते हैं। महंगाई की मार को देखते हुए दैनिक उपयोग खाने में किया जाता है। कोया फल को मवेशी को खिलाते हैं जिससे गाय, भैंस, बैल इत्यादि पशु को कोई बीमारी नहीं होती है।
टोरी खरी का महत्व है। खरी जलाने पर दूर-दूर तक सांप, बिच्छू नहीं आते हैं। इसलिए ग्रामीण अंचल के लोग बड़ी मेहनत के साथ फल को एकत्रित कर उसकी दाल बना करके तेल पेराई करते हैं। वहीं डूमर बूड़रा निवासी पहार सिंह ने बताया कि इस तेल का महत्व बहुत ज्यादा है। पुरानी तेल को हाथ पैर पर मालिश करने से गठिया बात एवं हाथ पैर का नहीं होता है।